मुलाक़ातें

Rupesh Ranjan
Nov 23, 2022

वो बिछड़े मोहब्बतों के,
फिर कभी ना मिले |

गली से जाते तो देखा,
उस दिन सफ़ेद से
उन कपड़ों में सिले |
उनके घर से भी कई दफा गुजरे,
ना कोई आवाज़ आयी उनकी
और, ना कोई फूल कभी खिले |

वो बिछड़े मोहब्बतों के,
फिर जनाजों पर ही मिले |

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Rupesh Ranjan

I am driven to write, because it’s the only way to keep things alive. Everything else fades away, dies eventually, not words though.